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सूरज का सामना..
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चार दिवारी से बहार निकले, तो हवा के छूने का एहसास हुवा. कुछ चमक सूरज की - आँखों को चका-चोंध करने लगी. आंखें खुलने से पहले ही बंद होती दिखीं. हम फिर से छाँव ढूंढ़ने लगे, किसी मज़बूत पेड़ की आड़ में छुपने लगे. अचानक किसी ने हाथ थामा- और जोर से खींचा. हम फिर से सूरज का सामना करने लगे, आंखें टकराई तो देखा! नई सुबह ने हाथ खीचा था. वो मुस्कराकर कह रही थी, पगले! ये ही है वो ख़जाना, जिसको- तूने अब पाया है. घुटन का हर वो ज़माना, जब तू मार के आया है. घबरा मत! एक टक देखता जा, हर चमक तेरे से टकरा कर- खुद झुक जायेगी. हर मदहोश हवा तुझे पाके खुश हो जाएगी, एक-दर-एक सीढ़ियाँ चढ़ता जा, होसलों को और बुलंद करता जा, बेरोकटोक बढ़ता जा – क्यूंकि- तुझे सूरज के करीब नहीं पहुँचना- खुद सूरज बनना है. फिर किसी के लिए तेज़ चमक बनना है. हर वो, जो उस पेड़ की आड़ में खड़ा रहेगा? तुझे उसका सामना करना है. मैं तो हर रोज़ तुझे यहीं मिलूंगी, तेरे इंतजार में, नई चेतना बन कर. नया एहसास बन कर. नई तमन्ना बन कर.
मै करू तो साला.....
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ना कोई किसी का जीजा है, ना कोई किसी क साला है, चूप कीजिए,ना यहाँ कोई गडबड है ना कोई घोटाला है. जनता इन बहकाउ बातो पर बिल्कुल ही कान ना धरे, इक राजनैतिक साज़िश है, न्यूज् चैनलो का मशाला है. ना कोई कोयले की दलाली, ना ही कोई घालम-पेल , मेहनत कश है झूठे नही, बस इसलिए मुह काला है. ना हम किसी के कठपुतली , ना ही रिमोट कंट्रोल्ड राज करने का बस मेरा अन्दाज़ ही कुछ् निराला है. अरे विपछी भाई,क्यु रोते हो उनकी बेधडक तरक्की से, चाभी ढूढो उसकी तेरी किस्मत पर जडा, जो ताला है.
Impact of Social Media on Society
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By sheshant saurabh "Do you have Facebook?" "Yes, of course. But I don't think you can find me, as there are too many people who have the same name as me. Try searching with my surname as well." "Hey, you celebrated your birthday in K-Box, right? I saw the photos in your Facebook." "Bro, I saw your comments about the YouTube video that I've posted in my blog. I'm happy that you are also deeply moved by the 'Dancing Peacock Man' as well." Social media or "social networking" has almost become part of our daily lives and being tossed around over the past few years. It is like any other media such as newspaper, radio and television but it is far more than just about sharing information and ideas. Social networking tools like Twitter, Facebook, Flickr and Blogs have facilitated creation and exchange of ideas so quickly and widely than the conventional media. The power of define and control a brand is s...
एक अनुभव ...!!! मेरी दक्षिण यात्रा
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13 तीयदी चेन्नई, कोवलम कन्याकुमारी बन्नो .येनके स्थानम इस्तापतू वराले वराले नलद स्थलम. काडाली आडीता नल्ल climate सुगम उनडे .कडल तीरमाला वेलर वेलर वलद. नी आवडे पोगमन नल्ले स्थलम. वराले वराले नलद स्थलम ... ओह अईयो , दैईवा सैईद (सॉरी)!!!! क्षमा करे !!! मै मलयालम और तमिल में ही बताने लगा.वैसे मैंने उस भाषा मे लिखा है कि 13 तारीख को हम चेन्नई, कोवलम कन्याकुमारी गए. ये जगह बहुत ही खूबसूरत है. समुद्र के किनारे का मौसम बहुत अच्छा है. ऊची उठती लहरे बहुत अच्छी लगती है. आप भी यहाँ जरुर जाईएगा. बहुत अच्छी जगह है....!!! इतना ही नही दक्षिण भारत के मंदिर, खान पान, समुद्री किनारा रहन सहन सभी कुछ अलग है पर बहुत अच्छा है. चेन्नई से महाबली पुरम का लगभग सडक से 1 धंटे का रास्ता है. सडको के किनारो पर लगे नारियल के पेड, छोटे छोटे मंदिर, मूर्तियो का काम अनायास ही हमारा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं.एक और बात जो थोडी हट कर दिखाई दी वो थी लोगो के घरो का रंग गहरा और चटक. गहरा हरा, पीला, नीला बैंगनी कोई भी रंग हो सभी पर आमतौर पर चटक ...
साथ छोड़ कर भागी ममता.....
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साथ छोड़ कर भागी ममता,अब क्या होगा रे नज़र आ रहा सूरज ढलता, अब क्या होगा रे नहीं मुलायम,रहते कायम,अपने वादों पर नज़र बड़ी आवश्यक रखना,गुप्त इरादों पर उनका सपना,पी एम् पद का,अब क्या होगा रे नज़र आरहा सूरज ढलता,अब क्या होगा रे माया महा ठगिनी हम जानी,आनी जानी है कब इसका रुख बदल जाए, ये घाघ पुरानी है यदि उसने जो पाला पलता,तब क्या होगा रे नज़र आ रहा सूरज ढलता,अब क्या होगा रे अब तो करूणानिधि से ही करुणा की आशा है सी बी आइ का दबाब भी अच्छा खासा है साम दाम से काम न बनता,तब क्या होगा रे नजर आरहा सूरज ढलता,अब क्या होगा रे सब चीजों के दाम बढ़ गए,जनता है अकुलायी सुरसा जैसी मुख फैलाती,रोज रोज मंहगाई साथ छोड़ देगी यदि जनता,तब क्या होगा रे नज़र आरहा सूरज ढलता,अब क्या होगा रे.
मेरे सनम कर दे........
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मेरे दर्द की दवा आज कोई मेरे सनम करदे, थोडा मुस्करा के मेरे गम को कम करदे | तेरी मेहरबानी मुझपे सनम अगर हो जाये , मेरे लिए आसान जिन्दगी की डगर हो जाये , कट जायेगा सफ़र जिन्दगी का तू अगर मेरे क़दमों के संग कदम धरदे | बिना तेरे साथी जिन्दगी मेरी अधूरी सी है, जिन्दा है लेकिन सांसों से दुरी सी है, मुदत्तों से मुर्दा पड़े इस जिस्म में थोडा सा दम भरदे| यादों के साये आज मेरे चारों ओर घूमते है, तेरी जुल्फों के बादल आज भी मेरे सीने को चूमते हैं, तेरी इन मद मस्त आँखों की मस्ती को मेरे जख्मों का मरहम करदे| साथ जो मिले गर तुम्हारा मेरी जिन्दगी संवर जाये, तुझको पाकर मेरा जीवन खुशियों से भर जाये , भुला के आज ये सारे गम आँखे मेरी ख़ुशी से नम करदे | दर्द ए जुदाई अब और नही सह सकेंगे, तेरे सिवा और किसी से न कह सकेंगे , आ जाओ इससे पहले पहले की की मौत मुझे बेदम करदे | ये दिल तुम बिन दर्दो गम से आहें भरेगा , जख्मी दिल की दवा तुम बिन कौन करेगा , " सौरभ " पे रहम तू थोडा आज सनम कर दे ||
अच्छा सा लगाने लगा है उनका ख्याल मुझे......
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अच्छा सा लगाने लगा है उनका ख्याल मुझे , खो न जाऊं यादों में उनकी ए दिल जरा संभाल मुझे दिखने लगा है उनका ही चेहरा अब रात दिन , न आये चैन जरा इक पल भी उनके बिन ख्यालों से उनके जरा बाहर निकाल मुझे ! मुझको दीवाना ना बनादे कहीं सादगी उनकी होश ना उड़ा दे कहीं ये बानगी उनकी सपनो में आक़र भी वो रातों को कर देते है बेहाल मुझे ! हसरत ए दीदार अगर यु बढती ही जाएगी खुमारी सी दिल में जो चढ़ती ही जाएगी इक दिन ये दीवानगी कर देगी कंगाल मुझे ! ना ले इन्तिहाँ मेरा की मेरा सपनों का कतल हो जाये तेरे इन्तजार में सुखा हुआ खेत ,मेरे दिल की फ़सल हो जाये कहीं इन्तजार करते करते '' सौरभ '' इरादा बदल हो जाये !
वो ओढ़ते हैं दुपट्टे को जो लहरा करके...
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तुम कहाँ जा रहे हो, घर में अँधेरा कर के | ठहरो-ठहरो की चले जाना, सवेरा कर के || दिल तो तोडा ही था, चुपके से निकल जाना था | क्या मिला तुमको, ज़माने में ढिंढोरा कर के || प्यार दे या न दे, पहचान तो दे दे मेरी | खुद को खो बैठा, तेरे दिल में बसेरा कर के || दिल वो पागल,जो कुल्हाड़ी पे पैर देता है | रौशनी ढूंढता है, घर में अँधेरा कर के || इस अदा को मै किस अंदाज़ में बयान करूँ | नींद बक्शी है, मगर खवाब पे पहरा कर के || ये सियासत का नगर है, यहाँ का चारागर भी | दावा तो देता है, मगर ज़ख्म को गहरा कर के || न पूंछो कितने दिलों पर हैं बिजलियाँ गिरतीं | वो ओढ़ते है दुपट्टे को, जो लहरा कर के || तू तो दरिया है "सौरभ", तेरी क्या बिसात रही | इश्क चाहे तो, समंदर को भी सेहरा कर दे || -शेषांत सौरभ
फिर मेरे दिल में इन्कलाब आया....
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रात फिर मुझको तेरा खाब आया | रंग गोरा लिए गुलाब आया || फिर कहीं तूने ली है अंगड़ाई | फिर मेरे दिल में इन्कलाब आया || तेरी जुल्फों से बरसती है बाला की खुशबू | तुझसे होकर के ही, फूलों पे है शबाब आया || फिर से काजल लगा लिया तूने | फिर से खतरे में माहताब आया || तेरे आँचल को छू लिया था कभी | पूंछ मत किस कदर अजाब आया || सवाल इतना था, की हुस्न किसे कहते हैं | जवाब खुद में लाजवाब आया || फिर से आँचल गिरा दिया तूने | फिर से तूफ़ान कोई आज आया || जब से इन नरगिसी आँखों में "सौरभ" डूबा हूँ | पी नहीं फिर भी, नशा मुझको बेहिसाब आया ||
Nice Love Story...
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There was once this guy who is very much in love with his girl. This romantic guy folded 1,000 pieces of paper cranes as a gift to his girl. Although, at that time he was just a small fry in his company, his future doesn't seem too bright, they were very happy together. Until one day, his girl told him she was going to Paris and will never come back. She also told him that she cannot visualize any future for the both of them, so they went their own ways there and then... Heartbroken, the guy agreed. But when he regained his confidence, he worked hard day and night, slogging his body and mind just to make something out of himself. Finally with all the hard work and the help of friends, this guy had set up his own company ... You never fail until you stop trying. One rainy day, while this guy was driving, he saw an elderly couple sharing an umbrella in the rain walking to some destination. Even with the umbrella, they were still drenched. It didn't take...
सलाह लें ,पर संभल कर…..
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एक बार एक आदमी अपने छोटे से बालक के साथ एक घने जंगल से जा रहा था! तभी रास्ते मे उस बालक को प्यास लगी , और उसे पानी पिलाने उसका पिता उसे एक नदी पर ले गया , नदी पर पानी पीते पीते अचानक वो बालक पानी मे गिर गया , और डूबने से उसके प्राण निकल गए! वो आदमी बड़ा दुखी हुआ, और उसने सोचा की इस घने जंगल मे इस बालक की अंतिम क्रिया किस प्रकार करूँ ! तभी उसका रोना सुनकर एक गिद्ध , सियार और नदी से एक कछुआ वहा आ गए , और उस आदमी से सहानुभूति व्यक्त करने लगे , आदमी की परेशानी जान कर सब अपनी अपनी सलाह देने लगे! सियार ने लार टपकाते हुए कहा , ऐसा करो इस बालक के शरीर को इस जंगल मे ही किसी चट्टान के ऊपर छोड़ जाओ, धरती माता इसका उद्धार कर देगी! तभी गिद्ध अपनी ख़ुशी छुपाते हुए बोला, नहीं धरती पर तो इसको जानवर खा जाएँगे, ऐसा करो इसे किसी वृक्ष के ऊपर डाल दो ,ताकि सूरज की गर्मी से इसकी अंतिम गति अच्छी होजाएगी! उन दोनों की बाते...
ऑल्टो कार वाले की औकात
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पंडितजी शिकायत कर रहे थे कि ऑल्टो वाले कस्टमर बहुतै चिरकुट होते हैं। नई कार की पूजा कराने के पांच सौ भी ऐसे देते हैं जैसे अहसान कर रहे हों। एस एक्स फोर वाले दो हजार की रकम यूं ही देकर चले जाते हैं। कारें पर्सनैलिटी ही नहीं बतातीं, अर्थव्यवस्थाएं भी बताती हैं। ऑल्टो वाला एवरेज पर झांय-झांय करता है। एस एक्स फोर वाला स्टाइल के मसलों की तहकीकात करता है। बीएमडब्लू वाला ये भी देखता है कि कहीं बहुत ज्यादा लोग तो नहीं लेकर टहल रहे हैं इस कार को। ऑल्टो वाला मगन रहता है ये सोचकर कि खूब बिकती है ये कार, सो इसके कल पुरजे सब जगह सस्ते टाइप्स मिल जाते हैं। बीएमडब्लू वाले को अगर ये पता लग जाए कि इसके कल पुरजे भी उतनी ही दुकानों पर मिल रहे हैं, जितनी दुकानों पर ऑल्टो के मिलते हैं तो बीएमडब्लू वाले का दिल डूब सकता है। ऑल्टो वाला किसी आम मोटरसाइकल के साथ भी फ्रेंडली हो सकता है लगभग आसपास का ही मामला है। पर बीएमडब्लू कार वाला ऑल्टो वाले के साथ भी फ्रेंडली नहीं होता। हालांकि रोल्स रॉयस वाला बीएमडब्लू वाले के साथ वैसा ही सलूक करता है जैसा सलूक बीएमडब्लू वाला ऑल्टो वाले के साथ करता है। ऑल्ट...
असफलता जीवन का एक हिस्सा है
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एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे. उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.” आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!! इन हाथियों की...
Romancing the Rains ....
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The dark rumbling clouds turned the lifeless sky into an abode of ash coloured sailing ships – moving towards an unknown destination. Fortunately for us, these water-bearers finally turned towards Delhi. It seems that the Rain Gods have finally listened to our prayers, and the long wait for the Monsoons is at last over. Delhiites can now feel the breezy weather outside and hear the huge drops on the thirsty ground. The dust-laden lack-lustre buildings, forlorn trees and wilting flowers will get a squeaky-clean makeover and a lease of fresh life after being scorched by unrelenting heat and sultry humidity. The cool breeze, out of the blue, changes our dreary mood to bubbly and vivacious. Interestingly, the rains knocked the door of Delhi exactly a day after the Meteorological Department was slammed by the Central government for inaccurate predictions! Now, India Gate, located in the heart of the capital, will be visited by families and friends to enjoy the pleasant ...
Hum ne aaj....
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Hum ne aaj kuch sach likhne ki himmat ki hai Koi jadoo nahi! hum ne tum se dosti ki hai Woh ek lamha bhi jo teri yaad ke bina guzra Us pal mein hum ne khud se bhi nafrat ki hai Har shakhs milta hai aaker hume khuloos se Baat meri soorat ki nahi! baat to seerat ki hai Tum se pahle koi bhi na aa saka wahaan Dost jis dil pe aaj tum ne hukumat ki hai Ye mere dil ka dard kam kyun nahi hota Aie dil hum ne kya dukhon se ulfat ki hai Sazaa milegi tum ko bhi iss faisle ke baad Mere zameer ne sach bolne ki jurrat ki hai Kya karoon ! woh to dosti ka matlab bhi nahi janta Dil-e-Nadan hum ne kis shakhs se dosti ki hai
Tu jaane na ki kaun hai tu
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Tu jaane na ki kaun hai tu, phoolo ke Gulistan ka sartaj hai tu, honge gulshan me gul hazaar, in gulo ka gulaab hai tu, Tu na jane ki kaun hai tu, sangeet jaisi awaz ka sur-taal hai tu, Hoti hai jab amaawas ki raat to, Ugte huye suraj ka ahsaas hai tu, Tu na jane kaun hai tu udasi bhare chero ki mushkan hai tu hote hai jb gam k badal asman me th baadlo k beech se nikalta hua chand hai tu….. Tu Jaane na ki kaun hai tu, Oss ki boondo jaisi taajgi ka ehsaas hai tu, aati hai jab mere hoto pe udasi ki aahat, hasta hu fir bhi,us hasi ka raaz hai tu, Tu jaane na ki kaun hai tu, Dhadkate dilo ki baichani ka naam he tu, Tanhai me jab band hoti hai palke meri, bahte huye ashko ka sailaab hai tu, Tu na jaane ki kaun hai tu mahakati hui garm saanso ka guman hai tu, Tadpta raha pane ki chahat me jisko umar bhar, Wo reshmi khwaabo ka gunahgaar hai tu, Tu na jaane kaun hai tu, Dil ko jo sakoon he,wo awaj hai tu, yu to suni hai sangeet bahut maine, sargam se bhi kh...
सपनो की दुनिया से थोडा बाहर तो आइये
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सपनो की दुनिया से थोडा बाहर तो आइये , कैसा है जनाब का हाल तो सुनाइये ! सपने तो सपने है हकीकत जमीनी है , कदम -कदम पे धोखे देगी जिन्दगी बड़ी कमीनी है , उतार के आसमान से जिन्दगी को जरा धरती पे ले आइये ! उतार के चश्मा आँखों का असलियत को निहारो , जो जमीनी हकीकत है ना तुम उसको ही बिसारो , सच का सामना कीजिये ना सपने हरदम देखे जाइए ! गर होंगे सितारे गर्दिश में तो जमाना साथ खड़ा होगा , वक़्त बुरा जब आएगा तो अकेला कहीं पड़ा होगा , जमीं पर कभी न देख लो ना सदा आसमान को तुम निहारिये ! दो जून की रोटी से जूझना है जिन्दगी तेरी , बे वक़्त मौत से लड़ना है जिन्दगी तेरी , छोड़ के सपनों का बिस्तर '' नामा '' हकीकत की चादर बिछाइये !
कोई सरफिरा मिल गया तो क्या कीजियेगा
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हजूर इस कदर भी इतराइए कोई सरफिरा मिल गया तो क्या कीजियेगा, दर्द अपने इतने भी न सुनाइए कोई दिलजला मिल गया तो क्या कीजियेगा ! हर वक़्त राग जो तुम दुखों का गाओगे कभी आशिक कभी पागल तो कभी दीवाना कहलाओगे गर किसी मोड़ पे कोई आपसे ज्यादा तडपता मिल गया तो क्या कीजियेगा ! दबा के इन शोलों को सीने में अपने अंगार बना लीजिये , उजड़ी हुई अपनी इस दुनिया को फिर से सजा लीजिये , वक़्त बीतने के बाद कोई हमसफ़र न मिला तो क्या कीजियेगा ! दुनिया नयी अपनी उनहोंने बसा ली तो क्या हुआ, दूर होकर छीन खुसिया तो क्या ली तो क्या हुआ , अपनी ख़ुशी के वास्ते गम कोई गर तुम्हारे भुला गया तो क्या कीजियेगा ! अपनी दुनिया में वो खुशियों को ना कभी तरसे , हर वक़्त उनपे खुदा की रहमत ही रहमत बरसे , उनको चाहने वालो की कतार में ही लगा खुदा मिला तो क्या कीजियेगा !
जीने की कला
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जैसे - जैसे तेरी भी सीरत संवरती जायेगी ; ख़ुश्बुओं - सा दूर तक तुझको हवा फैलायेगी . बन्द हैं जो खिड़कियाँ , तुम जितना खोलोगे उन्हें ; रौशनी घर में तेरे भी उतनी बढ़ती जायेगी . पास में जो रंग हैं उनको ख़्वाब में ढंग से भरो ; धीरे - धीरे इक हसीं तस्वीर बनती जायेगी . तुम हुकूमत ख़ुद पे करना सीख लोगे जितना ही ; सल्तनत दुनिया में तेरी उतनी बढ़ती जायेगी . फ़लसफ़ा तेरा अगर होगा न जीवन से जुड़ा ; तेरी हर इक सोच बस बकवास बन रह जायेगी . गफलतों में जी के तू ख़ुद को सिकन्दर मत समझ ; ख़ाली हाथों ज़िन्दगी इक दिन फ़ना हो जायेगी . इस जहाँ की बेहतरी के वास्ते कुछ कर गुज़र ; जाने फ़िर ये ज़िन्दगी हाथ आयेगी , ना आयेगी . ( शब्दार्थ - सीरत = आन्तरिक सौंदर्य , फ़लसफ़ा = दर्शन / फिलोसोफी , फ़ना = नष्ट )
पश्चाताप
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कुछेक रोज़ अंधेरों का शौक क्या पाला ; तमाम उम्र उजालों से हाथ धो डाला . गुरूर चार दिन का ओढ़ लिया था मैंने ; सुकून ज़िन्दगी भर का तभी से खो डाला . चाह मुझमें भी नगीनों की थी मगर मैंने ; खान में घुस के कभी ख़ाक को नहीं चाला . धूप से बच के निकलने को हुनर क्या माना ; फिर कभी छाँव से हरगिज़ नहीं पड़ा पाला . खिड़कियाँ मैंने अपने घर में बनाईं ही नहीं ; बेवजह रौशनी के सिर पे दोष मढ़ डाला . वक्त जब हाथ में था मैंने तवज्जो न करी ; वक्त ने रूठ के मेरा मज़ाक कर डाला .
पेट के ख़ातिर
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हमनें जिन्हें चुना था कभी पेट के ख़ातिर ; वो हमको ही खाने लगे हैं पेट के ख़ातिर . धरती निचोड़ कर के बढ़े हो तो छाँव दो ; क्यों ताड़ बन खड़े हो महज़ पेट के ख़ातिर . माँ - बाप ने जिनको पढ़ाया पेट काट के ; बच्चे पहुँच से दूर बसे पेट के ख़ातिर . मैं जिसके दिल - दिमाग में बसता था रात - दिन ; वो इक धनी से ब्याह उठी पेट के ख़ातिर . जो भी उसूल हमनें बनाए थे जोश में ; सब धीरे - धीरे बिकते गए पेट के ख़ातिर . ग़र नींद उसे ख़्वाब में दावत खिलाये तो ; सोता रहे गरीब सदा पेट के ख़ातिर . आँखों में भूख ले के भटकती थी दर - ब - दर ; पगली का पेट फूल गया पेट के ख़ातिर .
भरपूर इनायत है
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पीठों से पेट चिपके , ग़ुरबत की इनायत है ; आँखों में ख़्वाब ज़िन्दा , रहबर की इनायत है . कुछ मर रहे हैं भूखे , कुछ फूल रहे खा के ; बेशर्म ख़ब्तियों की , प्लानिंग की इनायत है . नंगे हैं खिलखिलाते , रोते उसूल वाले ; बहुमत ठगा - सा भटके , सिस्टम की इनायत है . कुछ अहमकों के चलते , ये मुल्क़ तक बंटा है ; पाटे न पटे खाईं , मज़हब की इनायत है . रुख भांप कर हवा का , जो चाल बदल लेते ; झण्डे उन्हीं के फहरें , तिकड़म की इनायत है . कितने ही बांगड़ू हैं , पैदाइशी ख़लीफ़ा ; भेड़ों को हांकते हैं , किस्मत की इनायत है . तन - मन सुलग रहा है , फिर भी न उबलते हम ; नामर्द जेहनियत की , भरपूर इनायत है . ( शब्दार्थ ~~ इनायत = कृपा , ग़ुरबत = दरिद्रता , रहबर = अगुआ / नेता , ख़ब्तियों = पागलों , अहमकों = पागलों ,बांगड़ू = मूर्ख , ख़लीफ़ा = नेता , जेहनियत = सोच )
Ek baat...
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Ik baat honton tak hai jo aayi nahin Bas ankhon say hai jhaankti Tumse kabhi, mujhse kabhi Kuch lafz hain woh maangti Jinko pehanke honton tak aa jaaye woh Aawaaz ki baahon mein baahein daalke ithlaaye woh Lekin jo yeh ik baat hai Ahsaas hi ahsaas hai Khushboo si hai jaise hawa mein tairti Khushboo jo be-aawaaz hai Jiska pata tumko bhi hai Jiski khabar mujhko bhi hai Duniya se bhi chupta nahin Yeh jaane kaisa raaz hai.. see more
12 Ways to Know That You Love Someone
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TWELVE: You talk with him/her late at night and when you go to bed you still think of him/her. ELEVEN: You walk really slowly when you are with him/her. TEN: You don't feel Ok when he/she is far away. NINE: You smile when you hear his/her voice. EIGHT: When you look at him/her,you do not see other people around you. You see only him/her. SIX: He/She is everything you want to think. FIVE: You realise that you smile every time you look at him/her. FOUR: You would do anything to see him/her. THREE: While you have been reading this, there was a person in your mind all the time. T WO: You've been so busy thinking of that person that you didn't notice that number 7 is missing. ONE: You are going to check above if that's true and now you are silently laughing to yourself. NOW MAKE A WISH! YOU KNOW WHAT YOU WANT THE MOST...... . see more
If you love her..
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If you love her , ask you to accompany her ; If you love her , you pet her ; If you love her, you let her ; If you love her , you go to listen to the cry of her heart ; Her weak, you embrace her . As long as you love her, there is nothing you can not accept ; As long as you love her, love her everything . Even all the patience , All of the bad temper , all the foul problems, In your eyes, are you like a baby . see more
tum aa jao
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Aake baitho mere sirhaane tum Aur socho na kuchh bahaane tum. Chhu ke dekhoon to maanun main, Sach ho ya khwaab ho na jaane tum. Aaj bhi main to hoon fida tum par, Ho mere ab bhi kya diwaane tum. Meri nazaron main daal kar nazaren, Khud hi padhalo na sab fasaane tum. Koi taqaraar ab nai socho, Phir na shikave karo puraane tum. Jee main aataa hai rooth jaaun main, Hans ke mujhako lago manaane tum. Mere seene pe sar rakho apanaa, Yun raho naa bane begaane tum. see more
Paas se . . .
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Tumhai.n dekhataa hoo.n Jab paas se mai.n, Kuchh ek saans letaa hoo.n Vishwaas se mai.n. Samandar samandar Kaha.n tak chaloonga, Tanha raat bhar yoo.n Kaha.n tak jaloonga, Yo.n sheesho.n se bach kar, Yo.n bheedo.n main chhupkar, Mai.n apane hi mann ko Kahaa.n tak chhaloongaa, Bahut thak gayaa hoo.n Is aabhaas se mai.n Tumhai.n dekhataa hoo.n Jab paas se mai.n ! Har ek dard dil mai.n Chhupaaye chhupaaye , Koi zindagi ko kaha.n tak Chukaaye , Har ek shaam dhoondhali, Har ek raat kaali, Sitaare bhi hote hai.n Kitane paraaye, Bahut mil gayaa hoo.n Aakaash se mai.n, Tumhai.n dekhataa hoo.n Jab paas se mai.n ! see more
LOVE
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I think Love is the most misused / confused concept of our times. Love is not "Getting". Love is "Giving". When it is ONLY getting , wanting , demanding , dictating , it is lust not love. Love is focussed on "giving" . Giving time, attention, ears, empathy, encouragement. Love is Freedom , not a jail . True Love is giving , empowering and enabling. It is that invisible thread which brings A bird from far & high skies , right back to its little nest . see more
FRIENDSHIP
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I think the most precious thing in life is Friends. All other relationships are based on self-interests. The moment interests clash ; all love, affection vanish. Not so in friendship. Friendship is not related to age, sex, status, terms or conditions. No logic, no motive, no plans, no ends . Just an acceptance of, an admiration for, a best wish for other human - being , plant or pet . I firmly believe that - One can not be a good parent, a good child, a good spouse, a good worker or manager, a good teacher, a good pupil, name any relationship, without being able to be First a Good Friend !! In life nothing is more joy than company of good friends . And nothing is more strength than true friends on your side . see more
Kuchh kaho na !
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Kaho na .. Kuchh pal saath chale to jaanaa, Rastaa hai jaanaa pehchanaa . Saanso ko sur de jaataa hai, Tera yo.n sapano mai.n aanaa. Maine jatan kiye to lakho.n Mann ne meet tumhi ko maanaa Ab to haath thhaam lene do Aur kaho na , na na , na na ! Kuchh kaho na ! Sau janam ka saath apna, Sans ka dhadkan se jaise, Aas ka jeevan se jaise, Kaise kate saal solah, Shyam ki jogan ke jaise. Jhoot ke parde na dhoondo, Sach kaho na . Kuchh kaho na .. Ek dooje ke liye ham, Haath main kangan ke jaise, Pyaas main sawan ke jaise, Roop ko darpan ke jaise, Bhakt ko bhag_van ke jaise. Jheel si simtee na baitho, Kuchh baho na . Kuchh kaho na .. Jaanata hoon thak gayee ho, Umr ke lambe safar se, Saanp se dasate shahar se, Aas se aur aansuon se, Bheed ke gahare bhawanar se. Waqt firata hai suno, Itna daro na . Kuchh kaho na .. Kis t...